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NAMASTE Scheme: स्वच्छता कर्मियों के लिए राहत, PPE किट और वित्तीय सहायता में इजाफा

NAMASTE Scheme: केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में राष्ट्रीय यांत्रिक स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र योजना के तहत बड़ी राहत का ऐलान किया।
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NAMASTE Scheme: केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि राष्ट्रीय यांत्रिक स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र (NAMASTE) योजना के तहत मार्च 2025 तक कुल 66,961 सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मियों (SSWs) को प्रमाणित किया गया है। यह आंकड़ा दिसंबर 2024 के 54,574 कर्मियों की तुलना में 22.7% की वृद्धि दर्शाता है।

नामस्ते योजना का उद्देश्य

यह योजना 2023-24 में शुरू की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वच्छता कार्य में आने वाली समस्याओं का समाधान करना है। योजना के तहत यांत्रिक समाधान को बढ़ावा देने के साथ-साथ कर्मियों को पुनर्वास सहायता भी प्रदान की जाती है।

खतरनाक स्वच्छता कार्य के कारण हुईं मौतें

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2024 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई से जुड़े खतरनाक कार्य के कारण कुल 425 मौतें दर्ज की गईं। योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, कर्मियों का पहले “प्रोफाइलिंग” और फिर “प्रमाणीकरण” किया जाता है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2024 में "ठोस कचरा प्रबंधन में लगे कचरा बीनने वालों" को भी नमस्ते योजना में शामिल किया था।

मार्च 2025 तक 45,292 व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किट वितरित किए गए, जो दिसंबर 2024 में वितरित 16,791 किट की तुलना में 170% की वृद्धि दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयों (ERSUs) के लिए 43 सुरक्षा उपकरण किट दिसंबर 2024 तक प्रदान किए गए थे, जो मार्च 2025 तक अपरिवर्तित रहे।

केंद्र सरकार ने मार्च 2025 तक 599 स्वच्छता कर्मियों को पूंजी सब्सिडी के रूप में कुल 17.23 करोड़ रुपये जारी किए, जो दिसंबर 2024 के 13.96 करोड़ रुपये (503 कर्मियों को लाभान्वित किया गया) की तुलना में 23% की वृद्धि है।

कार्यशालाओं का आयोजन

खतरनाक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई रोकने के लिए आयोजित कार्यशालाओं की संख्या भी बढ़ी। मार्च 2025 तक 1,837 कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जो दिसंबर 2024 में आयोजित 837 कार्यशालाओं की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।

हाथ से मैला ढोने पर रोक के बावजूद चुनौती बनी हुई है

"हाथ से मैला ढोने के रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013" के तहत कानूनी प्रतिबंध के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में यह प्रथा अब भी जारी है। हालांकि, भारतीय रेलवे या अन्य जिलों से पिछले पांच वर्षों में हाथ से मैला धोने की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।

2013 और 2018 में दो सर्वेक्षणों के अनुसार, देशभर में 58,098 हाथ से मैला ढोने वाले कर्मी चिन्हित किए गए थे। सरकार इन व्यक्तियों को एकमुश्त नगद सहायता, कौशल विकास प्रशिक्षण और स्वरोजगार के लिए पूंजी सब्सिडी प्रदान कर उनकी सहायता कर रही है।

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