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Kejriwal vs Opposition: केजरीवाल के इस्तीफे को बीजेपी ने बताया PR स्टंट, कांग्रेस ने भी नहीं बक्शा

Kejriwal vs Opposition: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद विपक्ष की प्रतिक्रिया सामने आई है। केजरीवाल के इस्तीफे के फैसले पर भाजपा और कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए इसे महज नौटंकी और अपनी छवि सुधारने...
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Kejriwal vs Opposition: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद विपक्ष की प्रतिक्रिया सामने आई है। केजरीवाल के इस्तीफे के फैसले पर भाजपा और कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए इसे महज नौटंकी और अपनी छवि सुधारने का प्रयास बताया है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने केजरीवाल के इस कदम को "पीआर स्टंट" बताया और कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो को पता है कि दिल्लीवासियों के बीच उनकी छवि एक ईमानदार नेता से बदलकर भ्रष्टाचार से जुड़े नेता की हो गई है।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि केजरीवाल त्याग के तौर पर पद नहीं छोड़ रहे हैं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में लौटने या फाइलों पर हस्ताक्षर करने से मना किया गया है। सिरसा ने आगे दावा किया कि अरविंद केजरीवाल दो दिन की अवधि का इस्तेमाल विधायकों को अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को अगला मुख्यमंत्री बनाने के लिए मनाने में कर रहे हैं।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

वहीं, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने केजरीवाल की घोषणा को "महज नौटंकी" बताया और इस बात पर जोर दिया कि उन्हें बहुत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। दीक्षित ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि यह पहली बार है जब जमानत पर रिहा हुए किसी नेता को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में वापस न आने या किसी आधिकारिक कागजात पर हस्ताक्षर न करने का निर्देश दिया है।

दीक्षित ने सुझाव दिया कि ऐसी शर्तें अदालत की इस चिंता को दर्शाती हैं कि केजरीवाल सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट उनके साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार कर रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को जमानत दे दी थी। जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के लिए कुछ शर्तें सूचीबद्ध कीं, जो उन्हें दिल्ली शराब नीति मामले के बारे में टिप्पणी करने और मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय में प्रवेश करने से रोकती हैं।

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