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Sonam Wangchuk on Mahakumbh: 'अगला महाकुंभ रेत पर हो सकता है क्योंकि नदियां..'- सोनम वांगचुक

Sonam Wangchuk on Mahakumbh: सोनम वांगचुक ने पीएम मोदी को एक खुला पत्र लिखकर हिमालयी ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने पर चिंता व्यक्त की है।
12:10 PM Feb 26, 2025 IST | Ritu Shaw

Sonam Wangchuk on Mahakumbh: प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर हिमालयी ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो अगला महाकुंभ 144 साल बाद रेत पर हो सकता है, क्योंकि नदियाँ सूख सकती हैं।

हिमालयी ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना

अपने पत्र में, लद्दाख स्थित पर्यावरणविद् वांगचुक ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की कोशिश की कि हिमालय के ग्लेशियर, जो भारत की कई नदियों का स्रोत हैं, तेजी से पिघल रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को ग्लेशियर संरक्षण में नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने लिखा, "भारत को ग्लेशियर संरक्षण में पहल करनी चाहिए क्योंकि हमारे पास हिमालय हैं, और हमारी पवित्र नदियाँ जैसे गंगा और यमुना इन्हीं से निकलती हैं।"

आयोग स्थापित करने की अपील

सोनम वांगचुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पर्यावरणीय प्रयासों की सराहना की और हिमालयी ग्लेशियरों की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक आयोग स्थापित करने का अनुरोध किया।

नदियों के सूखने की चेतावनी

उन्होंने चेतावनी दी, "जैसा कि हम सभी जानते हैं, हिमालयी ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं, और यदि यह प्रक्रिया तथा इसके साथ-साथ वनों की कटाई जारी रही, तो कुछ दशकों में हमारी पवित्र नदियाँ गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु मौसमी नदियाँ बन सकती हैं। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि अगला महाकुंभ केवल सूखी नदी की रेत पर आयोजित हो।"

जन जागरूकता की कमी

इसके अलावा, वांगचुक ने इस मुद्दे पर जनता में जागरूकता की कमी पर भी खेद जताया। उन्होंने प्रधानमंत्री से लद्दाख के कुछ समुदायों के सदस्यों के साथ मुलाकात की अनुमति देने का अनुरोध किया, ताकि वे लद्दाख के तेजी से पिघलते ग्लेशियरों से लाए गए बर्फ के एक टुकड़े को "संदेश" के रूप में प्रस्तुत कर सकें।

2025: अंतरराष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष

संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को "अंतरराष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष" घोषित किया है। गौरतलब है कि मौजूदा महाकुंभ, जो 13 जनवरी से शुरू हुआ था और आज संपन्न हो रहा है, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर आयोजित किया जा रहा है। संगम वह स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी का मिलन होता है।

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