Loksabha Election Barmer Seat : बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर जाति बदलेंगी समीकरण या ट्रेंड रहेगा कायम ?
Loksabha Election Barmer Seat: बाड़मेर। लोकसभा के लिए सात चरणों की मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब 4 जून को मतगणना के नतीजों का इंतजार है। हालांकि, नतीजों से पहले एग्जिट पोल के अनुमान बहुत कुछ संकेत दे रहे हैं। मगर राजस्थान में कुछ सीटें ऐसी हैं जिनका अनुमान लगाया जाना बेहद मुश्किल हो रहा है। इनमें बाड़मेर जैसलमेर सीट भी शामिल है।
रविंद्र सिंह भाटी से त्रिकोणीय हुआ मुकाबला
राजस्थान की बाड़मेर- जैसलमेर सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी यहां दूसरी बार चुनाव लड़े हैं तो कांग्रेस ने उम्मेदाराम को अपना प्रत्याशी बनाया। मगर इस मुकाबले को रोचक रविंद्र सिंह भाटी ने बनाया है जो शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ही लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे।
बाड़मेर-जैैसलमेर में 10 साल से भाजपा अजेय
बाड़मेर जैसलमेर संसदीय सीट पर पिछले 10 साल से भाजपा जीत दर्ज करती आ रही है। 2014 में भाजपा के सोनाराम चौधरी यहां से सांसद बने। इसके बाद 2019 में भी भाजपा के कैलाश चौधरी की जीत हुई। हालांकि, इससे पहले के चुनावों पर गौर करें तो यहां 1991 से 1999 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। इसे 2004 में भाजपा के मानवेंद्र सिंह ने खत्म किया। इसके बाद 2009 में फिर कांग्रेस के हरीश चौधरी यहां से सांसद चुने गए और अब पिछले 10 साल से यह सीट भाजपा के पास है।
ट्रेंड रहेगा कायम या जाति बदलेंगी समीकरण ?
बाड़मेर- जैसलमेर सीट पर मुकाबला भाजपा- कांग्रेस और निर्दलीय रविंद्र भाटी के बीच है। भाजपा के कैलाश चौधरी और कांग्रेस के उम्मेदाराम जाट समाज से आते हैं। जाट समाज का इस सीट पर बड़ा वोट बैंक है जो भाजपा और कांग्रेस के बीच बंट गया है।
इस सीट पर दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक राजपूत समाज है, जो भाजपा के पक्ष में मतदान करता रहा है। मगर इस बार यह रविंद्र भाटी के पक्ष में जा सकता है। ऐसे में जातीय समीकरणों के लिहाज से यहां भाटी को फायदा मिल सकता है। मगर पिछले दो चुनावों के ट्रेंड से यहां भाजपा मजबूत दिख रही है तो त्रिकोणीय मुकाबले में फंसने से कांग्रेस को भी हाथ को मजबूती मिलने के आसार दिख रहे हैं।
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