Loksabha Election Result भाजपा को अपने ‘हार्टलैंड’ से मिला ‘49 सीटों’ पर धोखा, आगामी 5 साल रहेंगे मजबूर
Loksabha Election Result लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट चौंकाने वाला है। सबसे ज्यादा परेशान भाजपा है। हिन्दी पट्टी में भाजपा को बड़ी शिकस्त मिली है। ऐसे में भाजपा के मन में इस बात को लेकर चिंता होना लाजमी है कि आखिर उत्तर प्रदेश जैसे गढ़ में वो कैसे हार गए। वहीं भाजपा के हार्टलैंड कहे जाने वाले राज्यों में ये भी आंकड़ा 50 में 1 कम 49 का ही है। इस सभी सीटों पर 2019 में भाजपा का कब्जा था।
अबकी बार 400 के पार का सपना कैसे टूटा ?
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने अबकी बार 400 पार का सपना लिए चुनावी आगाज किया था। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने भाजपा को मायूस कर दिया। इस चुनाव में भाजपा को मात्र 240 सीटों पर संतोष करना पड़ा। पार्टी को मिला ये जनादेश अबकी बार गठबंधन सरकार वाला है, जबकी सपना 400 पार का था। ऐसे में अब ‘भारतमेकर’ को ‘किंग मेकर’ यानी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर निर्भर होना पड़ा है।
चिराग और एकनाथ शिंदे भी अहम किरदार
नीतीश औऱ चंद्र बाबू के अलावा भाजपा को चिराग पासवान, एकनाथ शिंदे जैसे नेताओं के सहयोग की भी जरूरत होगी। तभी तीसरी बार NDA सरकार की गाड़ी आगे बढ़ेगी। इन सबके बीच एक चिंता पार्टी का पीछा कभी नहीं छोड़ेगी कि उत्तर प्रदेश जो भाजपा का गढ़ है वहां कैसे हार गए। भाजपा के ‘हार्टलैंड’ कहे जाने वाले राज्यों में ही पार्टी को 49 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। जिन सीटों की बदौलत 2019 में भाजपा ने सत्ता हासिल की थी।
2024 में चलेगी गठबंधन की सरकार
बहरहाल अब तो एनडीए की सरकार बन ही रही है लेकिन 49 सीटों पर हार का मलाल पूरे 5 साल रहने वाला है । इसके साथ गठबंधन की सरकार के लिए मजबूर भी होना पड़ेगा। 2019 की बात करें को राजस्थान, यूपी, हरियाणा, एमपी, बिहार में क्लीन स्वीप वाली जीत हासिल की थी। एमपी अब भी बीजेपी के साथ है लेकिन उत्तर प्रदेश में पार्टी को 29 सीटें, राजस्थान में 10 सीटें, हरियाणा में 5 और 5 सीटें बिहार में खोनी पड़ी। वहीं, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ भाजपा के साथ रहे और छिंदवाड़ा जैसे कांग्रेसी गढ़ को भाजपा ने हथिया लिया।
यूपी में सांसदों की गलती नहीं पकड़ पाया आलाकमान
भाजपा के लिए यूपी तो वाटरलू साबित हुआ। शुरुआती रिपोर्ट्स में ये जानकारी थी कि यूपी में पार्टी सांसदों के खिलाफ जनता में काफी गुस्सा है। माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें बदलकर नई पारी की शुरुआत करेगी लेकिन इसके उलट पार्टी ने 62 में से 55 को रिपीट किया। लगातार दो बार से सांसद रहे उनके खिलाफ नेगेटिव माहौल बना और जनता ने उन्हें नकार दिया। पार्टी को भरोसा था कि मोदी की गारंटी और सघन प्रचार के चलते वह इन एंटी-इंकम्बेंसी पर काबू पा लेंगे। लेकिन, ऐसा हो नहीं सका।
वसुंधरा की अनदेखी पड़ी भाजपा को भारी
बात राजस्थान की करें तो विधानसभा में राजस्थान की सत्ता हासिल करने वाली भाजपा लोकसभा में अपने क्लीन स्वीप के सपने को पूरा नहीं कर पाई। नतीजा हुआ कि पार्टी 10 सीटों पर हार गई। भाजपा को जाट बेल्ट पर जबरदस्त हार मिली । इसका कारण था कि वहां जाट मतदाता भाजपा से थे नाखुश था। आदिवासी बेल्ट पर भाजपा की हार कारण था कि आदिवासी थे नाखुश थे। विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे पार्टी के प्रचार के लिए मैदान में उतरती तो शायद पार्टी को ये सीटें नहीं गवानी पड़ती।
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