विधानसभा में अपशकुन के लिए वास्तु उपाय, स्पीकर बोले...वास्तुविदों से ली सलाह, जानिए क्या है राज!
Rajasthan Budget Session:राजस्थान विधानसभा में एक दिलचस्प मामला सामने आया है, जब स्पीकर वासुदेव देवनानी ने 200 विधायकों के एक साथ न होने के संयोग को तोड़ने के लिए वास्तु का सहारा लेने का जिक्र किया। विधानसभा के भीतर यह बात चर्चा का विषय बन गई, जब उन्होंने बताया कि हाल ही में वास्तु विशेषज्ञों से कुछ महत्वपूर्ण सुझाव मिले हैं, जिनमें से कुछ को लागू भी किया गया है। स्पीकर की उम्मीद है कि आगामी 4 सालों तक विधानसभा के सभी 200 सदस्य पूरे बनें रहेंगे, ताकि कोई संयोग विधानसभा की कार्यवाही को प्रभावित न करे।
गौरतलब है कि वास्तुविदों के सुझाव के बाद विधानसभा के अंदर विधायकों की एंट्री का रास्ता भी बदल दिया गया है, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। (Rajasthan Budget Session)इसके अलावा, सदन में कई छोटे-मोटे बदलाव भी किए गए हैं, जैसे कि दक्षिणी कोने में टेंट लगाया गया है, जिससे वातावरण में संतुलन और शांति बनी रहे। इन बदलावों का उद्देश्य विधानसभा की कार्यवाही को और प्रभावी और सौम्य बनाना है, ताकि सभी 200 विधायक एक साथ मिलकर प्रदेश के विकास में योगदान दे सकें।
वास्तु सुधार के तहत बदलाव
राजस्थान विधानसभा में अब वास्तु शास्त्र के आधार पर कई अहम बदलाव किए गए हैं। विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने बताया कि इन बदलावों का उद्देश्य विधानसभा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। खास तौर पर, विधानसभा में एंट्री और एग्जिट के लिए नए द्वार तय किए गए हैं—पूर्वी द्वार से एंट्री और पश्चिमी द्वार से एग्ज़िट। इसके अलावा, विधानसभा का कार्पेट भी वास्तु के आधार पर बदला गया है, जो अब गुलाबी रंग का हो गया है, जबकि पहले हरा रंग था, जो किसानों और हरियाली का प्रतीक था।
200 विधायकों की एक साथ उपस्थिति का लक्ष्य
देवनानी ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य अगले चार वर्षों में विधानसभा के सभी 200 सदस्यों को एक साथ उपस्थित करना है। यह बदलाव उस मिथक को तोड़ने के लिए किया गया है, जिसके अनुसार पिछले कुछ वर्षों से विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए थे। सदन के भीतर विभिन्न कारणों से यह संख्या पूरी नहीं हो पाई, जिनमें असामयिक निधन भी शामिल है।
कांग्रेस का विरोध...'राजसी ठाठ-बाट' का आरोप
विधानसभा के भीतर बदलावों पर कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया है। उनका कहना है कि पहले विधानसभा में हरे रंग का कार्पेट था, जो किसानों की आस्था और हरियाली का प्रतीक था, लेकिन अब गुलाबी रंग का कार्पेट लगाया गया है, जो 'राजसी ठाठ-बाट' का प्रतीक नजर आता है। यह बदलाव कांग्रेस के लिए अस्वीकार्य है, और उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि यह बदलाव एक दिखावा है।
विधानसभा भवन... उसका रहस्यमय इतिहास
राजस्थान विधानसभा भवन 2001 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन खास बात यह है कि इस भवन में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे। यह भवन श्मशान स्थल के पास स्थित है, जो इस अनोखे संयोग को और भी रहस्यमय बना देता है। विधानसभा भवन में 260 सदस्य बैठ सकते हैं, और इसके पास एक अतिरिक्त हॉल भी है। लेकिन अब तक इस भवन में सभी 200 विधायक एक साथ बैठने का संयोग कभी नहीं बना।
नए बदलाव... उनकी संभावना
इन बदलावों को लेकर विधानसभा की कार्यवाही और विधायक की उपस्थिति में आने वाले समय में क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। विधानसभा की कार्यक्षमता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए किए गए ये वास्तु सुधार अब एक बड़ा सवाल बन गए हैं। क्या इन बदलावों से विधानसभा में स्थिरता आएगी और विधायक एकजुट रहेंगे? समय बताएगा।
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