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Ajmer Dargah: 'कई महाराजा-शहंशाह आए और चले गए...'अजमेर दरगाह पर घमासान, क्या बोले औवेसी और ख्वाजा के वंशज?

अजमेर शरीफ दरगाह में हिंदू मंदिर का दावा किया है, जिस पर औवेसी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
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Ajmer Sharif Dargah: उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे विवाद के बीच अब अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। (Ajmer Sharif Dargah) अजमेर की सिविल कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर की गई है, जिस पर अदालत ने संबंधित पक्षकारों से जवाब मांगा है, अब 20 दिसंबर को इस मामले में अदालत में सुनवाई होगी। इस बीच इस मामले में सियासयत गर्माने लगी है।

क्या बोले ख्वाजा मोइनुद्दीन के वंशज ?

अजमेर शरीफ दरगाह में हिंदू मंदिर का दावा करने पर ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि देश में आए दिन मस्जिद दरगाह में मंदिर होने के दावे किए जा रहे हैं, यह देश के हित में नहीं है। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। चिश्ती ने कहा कि हमें भी जो कानूनी कदम उठाना होगा हम उठाएंगे और पूरी मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेंगे। अजमेर शरीफ दरगाह हमेशा मोहब्बत और अमन का पैगाम देती है।

असदुद्दीन औवेसी ने भी जताया अफसोस

AIMIM के प्रमुख असदद्दुीन ओवैसी ने भी अजमेर शरीफ दरगाह में मंदिर होने के दावे पर अफसोस जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि सुल्तान-ए-हिन्द ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं। कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गए, लेकिन ख्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है।

औवेसी ने कहा कि 1991 का इबादतगाहों का क़ानून साफ़ कहता है- किसी भी इबादतगाह की मज़हबी पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता, ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी। ये अदालतों का क़ानूनी फ़र्ज़ है कि वो 1991 एक्ट को अमल में लाएं। बहुत ही अफ़सोसनाक बात है कि हिंदुत्व तंज़ीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए क़ानून और संविधान की धज्जियां उड़ायी जा रहीं हैं।

दरगाह में क्या है हिंदू मंदिर का दावा ?

अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। इस मामले में हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें दो किताबों के हवाले से कहा गया है कि दरगाह में शिव मंदिर था। बुलंद दरवाजे की नक्काशी सहित कई प्रमाण मौजूद हैं। इसलिए यहां ASI से सर्वे करवाया जाए और हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया जाए। अजमेर सिविल कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और पक्षकारों को नोटिस भेजे हैं। इस मामले में 20 दिसंबर को अगली सुनवाई होनी है।

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