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अजमेर दरगाह में शिव मंदिर! 2 साल की रिसर्च, एक किताब...और दावा, यहां समझें A टू Z कहानी

Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक बार फिर सुर्खियों में है जहां इस बार मामला कोर्ट-कचहरी का है जिसको लेकर अचानक से दरगाह हर किसी के बीच चर्चा का केंद्र...
12:05 PM Nov 28, 2024 IST | Avdhesh
Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक बार फिर सुर्खियों में है जहां इस बार मामला कोर्ट-कचहरी का है जिसको लेकर अचानक से दरगाह हर किसी के बीच चर्चा का केंद्र...

Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक बार फिर सुर्खियों में है जहां इस बार मामला कोर्ट-कचहरी का है जिसको लेकर अचानक से दरगाह हर किसी के बीच चर्चा का केंद्र बन गई है. दरअसल अजमेर दरगाह के अंदर संकट मोचन महादेव मंदिर होने का लंबे समय से दावा किया जा रहा है लेकिन इस दावे को अब एक नया लीगल मोड़ मिला है. जी हां, बता दें कि बीते बुधवार को अजमेर (Ajmer Sharif Dargah) के सिविल कोर्ट में हुई सुनवाई में दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को स्वीकार कर इससे सुनने योग्य माना है जिसके बाद अब कोर्ट 20 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगा.

मालूम हो कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता लगातार ये दावा कर रहे हैं. बुधवार को अजमेर सिविल कोर्ट ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनावाई करते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने को कहा है.

दरअसल दिल्ली में रहने वाले हिंदू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील ईश्वर सिंह और रामस्वरूप विश्नोई की ओर से ये याचिका दायर की गई थी लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन आधार पर विष्णु गुप्ता की ओर से दरगाह में मंदिर होने का दावा किया गया है. आइए समझते हैं पूरा मामला, दरअसल याचिका दाखिल करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मंदिर के दावे को लेकर मुख्य रूप से 3 आधार बताए हैं.

2 साल की रिसर्च और एक किताब का हवाला

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर को लेकर हिंदू सेना के दावे के पीछे 1911 में प्रकाशित एक किताब है जो हरविलास शारदा ने 1911 में लिखी थी. इस किताब का नाम था - अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव. इस किताब को मामले में अदालत में सबूत के तौर पर भी पेश भी किया गया है.

याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा कि उनकी 2 साल की रिसर्च और रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की किताब में दिए गए तथ्यों के आधार पर उन्होंने ये दावा किया है. बता दें कि गुप्ता के मुताबिक किताब में यह जिक्र किया गया है कि यहां ब्राह्मण दंपती रहते थे जो दरगाह स्थल पर बने महादेव मंदिर में पूजा किया करते थे. इसके अलावा हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि अजमेर के कई पुराने लोग दबी जुबान में कहते आए हैं कि दरगाह में पहले संकट मोचक महादेव का मंदिर हुआ करता था.

मंदिर के दावे के बड़े आधार

वहीं गुप्ता कहते हैं कि मुस्लिम आक्रांताओं ने कई मंदिर तोड़े थे, कई स्कूल तोड़े थे और ढाई दिन का झोपड़ा उसका साक्षात उदाहरण है ऐसे में दरगाह के अंदर भी शिव मंदिर जरूर तोड़ा गया होगा. उनका कहना है कि यहां तहखाने में शिव मंदिर है और उसी शिव मंदिर के ऊपर ही दरगाह बनाई गई है.

 

इसके अलावा दरवाजों की बनावट व नक्काशी भी दावे का आधार है जहां दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट और नक्काशी देस के कई हिंदू मंदिरों से मिलती है. वहीं दरगाह का ऊपरी स्ट्रक्चर किसी हिन्दू मंदिर के डिजाइन से मिलता है और गुम्बद भी मंदिर की झलक देते हैं. वहीं गुप्ता का दावा है कि देशभर के शिव मंदिरों में पानी और झरने होते हैं और अजमेर दरगाह में ये है.

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