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Banswara: चिट्ठी वाली मां महालक्ष्मी...भक्तों की हर मुराद करतीं पूरी, बांसवाड़ा में है 482 साल प्राचीन मंदिर

बांसवाड़ा में मां महालक्ष्मी का 482 साल पुराना मंदिर है, जहां भक्त मां को अपनी मुराद चिट्ठी में लिखकर देते हैं...
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Banswara News: मृदुल पुरोहित. राजस्थान में महालक्ष्मी का एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त चिट्ठी लिखकर मां से अपनी मनोकामना करते हैं और मां उनकी हर मुराद पूरी करती हैं। (Banswara News) यह मंदिर करीब 482 साल पुराना बताया जाता है, जो राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में है। इस बार भी दीपावली को लेकर मां महालक्ष्मी के इस मंदिर में पूजा-अर्चना की विशेष तैयारियां चल रही हैं, दीपावली के दिन यहां भक्त उमड़ेंगे।

बांसवाड़ा में महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर

मां महालक्ष्मी का यह मंदिर बांसवाड़ा शहर के भीतरी हिस्से के अध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़ा है। महालक्ष्मी मंदिर से सटा कुबेरेश्वर शिवालय है तो पास में ही अर्धलिंग स्वरूप में भगोरेश्वर मंदिर। ठीक सामने लक्ष्मीनारायण मंदिर और दूसरे छोर पर रोकडिय़ा गणपति का मंदिर बना हुआ है। यह क्षेत्र भगोरेश्वर और महालक्ष्मी चौक दोनों ही नाम से पुकारा जाता है। अभी यहां दीपोत्सव की तैयारियां चल रही हैं। दीपावली पर बड़ी संख्या में भक्त मां लक्ष्मी के दर्शन करने पहुंचेंगे।

मां को चिट्ठी लिखकर मुराद मांगते हैं भक्त

बांसवाड़ा के इस महालक्ष्मी मंदिर की खासियत ये है कि यहां भक्त अपनी मुराद चिट्ठी में लिखकर मां को अर्पित करते हैं।भक्तों की मान्यता है कि मां महालक्ष्मी चिट्ठी में लिखी हर मुराद पूरी करती हैं। श्रीमाल समाज के सचिव निखिलेश श्रीमाल का कहना है कि यहां पूरे साल भक्त चिट्ठी लिखकर मां को अर्पित करते हैं। इन चिट्ठियों को बसंत पंचमी और श्राद्ध पक्ष की अष्टमी को खोला जाता है। दो-तीन साल बाद इन चिट्ठियों को पवित्र जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

करीब 10 साल पुरानी यह अनोखी परंपरा

मंदिर में चिट्ठी लिखकर रखने की परंपरा एक दशक पुरानी है। शहर निवासी श्रीमाल समाज की विभा श्रीमाल ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा की तीन बार परीक्षा दी। मगर वह दो से चार अंकों से पिछड़ गई। इस पर उसने आराध्या देवी मां लक्ष्मी से परीक्षा में चयन के लिए चिट्ठी लिखकर अर्पित की। उसी साल उसका चयन हो गया। जैसे ही इसकी जानकारी अन्य भक्तों तक पहुंची, तभी से लोग मां को अपनी कामना लिखते हैं।

16 पर्ण के कमल पर विराजित महालक्ष्मी

करीब 482 साल पुराने इस मंदिर में माता महालक्ष्मी की साढ़े तीन फीट ऊंची प्रतिमा है, जो सफेद संगमरमर से बनी है। मां लक्ष्मी 16 पर्ण के कमल के आसन पर विराजित हैं। मां लक्ष्मी के उपासक कहते हैं कि बैठी अवस्था में लक्ष्मी की पूजा करने से मातारानी सदैव घर में विराजित रहती हैं। ऐसी प्रतिमा मध्यप्रदेश, गुजरात, मेवाड़ में नहीं होने से यहां बड़ी संख्या में भक्त अपनी कामना लिए आते हैं। दीपावली पर महालक्ष्मी की प्रतिमा का सोने-चांदी के आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है।

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