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बांसवाड़ा में मां- बाड़ी केंद्र बंद करने के विरोध में उतरे शिक्षा सहयोगी, बोले- यह नाइंसाफी

Banswara News: बांसवाड़ा। जनजाति विकास विभाग के अधीन संचालित मां-बाड़ी केंद्रों को बंद करने के विभागीय आदेश पर जिले में विरोध गहरा रहा है। इन मां-बाड़ी केंद्रों पर नियुक्त शिक्षा सहयोगियों ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पर रैली निकाली और...
06:38 PM Aug 27, 2024 IST | Rajasthan First

Banswara News: बांसवाड़ा। जनजाति विकास विभाग के अधीन संचालित मां-बाड़ी केंद्रों को बंद करने के विभागीय आदेश पर जिले में विरोध गहरा रहा है। इन मां-बाड़ी केंद्रों पर नियुक्त शिक्षा सहयोगियों ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पर रैली निकाली और कलेक्टर के नाम ज्ञापन दिया। इससे पहले जनजाति विकास मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।

46 मां- बाड़ी केंद्रों पर संकट के बादल

राजस्थान में जनजाति विकास विभाग के अधीन मां-बाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है। बांसवाड़ा जिले में करीब 800 मां-बाड़ी केंद्र हैं। हाल ही में विभाग की ओर से बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पिछले साल स्वीकृत 46 मां-बाड़ी केंद्रों को बंद करने के आदेश जारी हुए हैं।

इन आदेशों का संबंधित केंद्रों से जुड़े शिक्षा सहयोगी, भोजन सहायिका, केंद्र की समिति के अध्यक्ष, सदस्य विरोध कर रहे हैं। कलेक्ट्री चौराहे पर एकत्र होकर जनजाति विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी के खिलाफ नारेबाजी की और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।(Banswara News)

शिक्षा सहयोगी बोले- मां- बाड़ी केंद्र बंद करना अन्याय

शिक्षा सहयोगियों का कहना है कि सभी केंद्रों पर जनजाति वर्ग के बच्चों का प्रवेश कराया है। जनजाति वर्ग के ही शिक्षा सहयोगियों का चयन किया है। बैंक में खाते खोलकर मानदेय दिया जाता है। केंद्रों को यू-डाइस कोड से जोड़ा है। इसके अतिरिक्त केंद्र पर अधिकतम संख्या में बच्चे आ रहे हैं और उन्हें नियमानुसार आरंभिक शिक्षा भी दी जा रही है। निशुल्क पाठ्य पुस्तकों के साथ ही पोषाहार, पोषाक, स्टेशनरी आदि सुविधाएं बच्चों को दी जा रही हैं। ऐसे में इन केंद्रों को बंद करना अन्याय होगा।

जनजाति बच्चों का होगा नुकसान- शिक्षा सहयोगी

शिक्षा सहयोगियों ने कहा कि विभाग के नियमों के अनुसार ही मां-बाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इसके बावजूद पिछले वित्तीय वर्ष में स्वीकृत नवीन मां-बाड़ी केंद्रों को राजनीतिक कारणों से बंद किया जा रहा है। इसका नुकसान जनजाति वर्ग के बच्चों के साथ ही अल्प मानदेय पर कार्यरत शिक्षा सहयोगियों और भोजन सहायिकाओं को भी होगा।ॉ

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