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देचू थाने में युवक की संदिग्ध मौत...भजनलाल सरकार ने सभी 24 पुलिसकर्मियों को किया लाइन हाजिर!

Police Custody Death: जोधपुर से सटे फलौदी जिले के देचू पुलिस थाने में एक युवक( Police Custody Death) की संदिग्ध हालात में मौत के मामले ने प्रदेश में हलचल मचा दी है। सरकार ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते...
10:47 AM Oct 05, 2024 IST | Rajesh Singhal

Police Custody Death: जोधपुर से सटे फलौदी जिले के देचू पुलिस थाने में एक युवक( Police Custody Death) की संदिग्ध हालात में मौत के मामले ने प्रदेश में हलचल मचा दी है। सरकार ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए देचू थानाप्रभारी समेत थाने के सभी 24 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है। यह कार्रवाई उस समय हुई है जब जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार सिंह ने इस मामले में पुलिस की चूक की पुष्टि की है।

युवक फूल सिंह की संदिग्ध मौत का मामला

युवक का नाम फूल सिंह है, जो जेठानिया गांव का निवासी है। उसकी मौत देचू थाने के कम्प्यूटर रूम में हुई थी। पुलिस का दावा है कि उसने रुमाल से फांसी लगाकर आत्महत्या की, लेकिन परिवार के सदस्य इस दावे को खारिज कर रहे हैं। परिवार का कहना है कि फूल सिंह की मौत पुलिस की पिटाई के कारण हुई है और वे इसे आत्महत्या का मामला मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

घटनास्थल पर भारी भीड़, पुलिस प्रशासन पर दबाव

इस घटना की जानकारी मिलते ही भारी भीड़ ने देचू पुलिस थाने को घेर लिया। प्रदर्शनकारियों ने थाने के स्टाफ को निलंबित करने, मृतक के एक परिजन को सरकारी नौकरी देने और मुआवजे की मांग की। जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार सिंह और फलौदी पुलिस अधीक्षक पूजा अवाना ने इस मामले को लेकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की।

धरना समाप्त, लेकिन मामले की न्यायिक जांच जारी

प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत के बाद धरना समाप्त कर दिया गया। फलौदी पुलिस अधीक्षक पूजा अवाना ने देचू थानाप्रभारी दाऊद खान और अन्य सभी 24 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करने के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही इस मामले की न्यायिक जांच भी शुरू की जा चुकी है।

पुलिस की चूक पर सवाल उठते हैं

पुलिस हिरासत में हुई फूल सिंह की मौत के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या वास्तव में यह आत्महत्या है, या फिर यह पुलिस की लापरवाही का नतीजा है? क्या पुलिस को हिरासत में रखने के दौरान उचित प्रक्रिया का पालन किया गया? इन सवालों के जवाब पुलिस को देना होगा, और न्यायिक जांच में इन पहलुओं पर गौर किया जाएगा।

सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया

इस घटना पर सामाजिक संगठनों ने भी प्रतिक्रिया दी है और उन्होंने मांग की है कि पुलिस की जांच में पारदर्शिता होनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि पुलिस के कामकाज की निगरानी की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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