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Old Civilization in Rajasthan: डीडवाना में आठ लाख वर्ष पूर्व थे होमो इरेक्टस ! इस 16R क्षेत्र को जिओ पार्क बनाने की मांग

Old Civilization in Rajasthan: कुचामन। राजस्थान का डीडवाना आठ लाख साल से भी ज्यादा पुरानी सभ्यता का गवाह है। डीडवाना का एक क्षेत्र एसुलियन कालखंड अर्थात करीब 8 लाख वर्ष पूर्व का है। उस दौर में यहां होमो इरेक्ट्स यानि...
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Old Civilization in Rajasthan: कुचामन। राजस्थान का डीडवाना आठ लाख साल से भी ज्यादा पुरानी सभ्यता का गवाह है। डीडवाना का एक क्षेत्र एसुलियन कालखंड अर्थात करीब 8 लाख वर्ष पूर्व का है। उस दौर में यहां होमो इरेक्ट्स यानि वर्तमान मानवों के पूर्वज निवास करते थे। अब इस 16R क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए जिओ पार्क बनाने की मांग की गई है। साथ ही डीडवाना के गौरवशाली इतिहास को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल (Old Civilization in Rajasthan) करने की भी मांग उठाई जा रही है।

एसुलियन काल खंड में निवास

कुचामन जिले के डीडवाना शहर के नागौर रोड स्थित बांगड़ नहर के पास 16R इलाका है जो 8 लाख साल से भी ज्यादा समय पूर्व की मानव सभ्यता का साक्षी है। वैज्ञानिक और भूगर्भ शास्त्री डॉक्टर अरुण व्यास और इतिहासकार नटवरलाल वक्ता ने बताया कि विश्व में सबसे प्राचीन सभ्यता सिंघु, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को माना जाता है। डीडवाना में इससे भी हजारों सालों पहले मानव सभ्यता का विकास हुआ था। डीडवाना क्षेत्र एसुलियन कालखंड अर्थात करीब 8 लाख वर्ष पूर्व के कालखंड का साक्षी रहा है। उस दौर में यहां होमो इरेक्टस यानि वर्तमान मानवों के पूर्वज निवास करते थे।

डीडवाना के समीप होमो इरेक्टस

पूर्व में दुनियाभर के वैज्ञानिकों जिनमें मुख्य रूप से फ्रांस के वैज्ञानिकों शामिल थे, ने वैज्ञानिक शोध (Old Civilization in Rajasthan) कर इस क्षेत्र को विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता होने का दावा किया था। इन शोध के बारे में विदेशों में पढ़ाया भी जा रहा है। डीडवाना के समीप होमो इरेक्टस लाखों साल पहले आबाद रहे थे जोकि होमोनिन की विलुप्त प्रजाति है। इसका उद्भव अफ्रीका में हुआ था। वहां से भारत, जार्जिया, श्रीलंका, चीन और जावा में ये फैल गए। इन्हें अपराइट मैन भी कहते है।

एसुलियन के बड़े हस्त कुल्हाड़

वैज्ञानिक व भूगर्भशास्त्री डॉ. अरूण व्यास ने बताया कि डीडवाना क्षेत्र में होमो इरेक्ट्स के प्रमाण स्वरूप कई मानव निर्मित आकृतियां पाई गई है। इनमें मुख्यत: पत्थरों से बने हथियार शामिल हैं। डीडवाना क्षेत्र में डेक्कन कालेज, पुणे के दल द्वारा डॉ. वीएन मिश्रा व डॉ एसएन राजगुरू के निर्देशन में 1980 के दशक में सिंघी तालाब और आसपास के क्षेत्रों में एशूलियन इंडस्ट्रीज की खुदाई की गई। इसमें मानव निर्मित आकृतियां (आर्टिफेक्ट्स) भूसतह से 40 और 80 सेंटीमीटर नीचे पाई गईं। निचले स्तर में एसुलियन के बड़े हस्त कुल्हाड़ मिले है। इस क्षेत्र में डेक्कन कॉलेज, पुणे के भूगर्भवेत्ता डॉ. वीएन मिश्रा, डॉ. एसएन राजगुरू, डॉ. हेमा अच्युथन व पेरिस (फ्रांस) के राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के प्रागैतिहासिक विभाग से जुड़ी क्लेरी गेलार्ड ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध कार्य किए।

जिओ पार्क बनाकर संरक्षण

राजस्थान के इस क्षेत्र को अब तक ना तो राष्ट्रीय स्तर पर और ना ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही वो पहचान मिली है जो मिलनी चाहिए। अब तक देश की पाठ्यपुस्तकें इस विषय से अछूती रहीं हैं। डीडवाना के वैज्ञानिक और भूगर्भशास्त्री डॉ. अरूण व्यास और इतिहासकार नटवर लाल वक्ता ने सरकार और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जिओ पार्क बनाने की मांग करते हुए कहा कि जियो पार्क के रूप में किसी क्षेत्र के विकसित होने से उस क्षेत्र के इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व और भूविज्ञान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है। इसलिए डीडवाना के इस क्षेत्र को जिओ पार्क बनाकर इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित करना चाहिए।

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