Mahakumbh: महाकुम्भ में राजस्थान के हठ योगी... कड़ाके की ठंड में सूर्योदय से पूर्व 108 घड़ों के ठंडे पानी से स्नान !
Prayagraj Mahakumbh 2025: महाकुम्भ 2025 के चलते प्रयागराज में साधु-संतों की अद्भुत साधनाएं देखने को मिल रही हैं। (Prayagraj Mahakumbh 2025) इनमें एक संत प्रमोद गिरी हैं, जो प्रयागराज की धरती पर हठ योग कर रहे हैं। इनका हठ योग इतना कठिन है कि सुबह इन्हें हठ योग करते देखने वाले भी हैरान रह जाते हैं। संत का कहना है कि उनका यह हठयोग 21 दिन तक चलेगा।
कड़ाके की ठंड में हठ योग
प्रयागराज में कड़ाके की सर्दी का दौर चल रहा है। इस ठिठुरन भरी सर्दी में एक हठयोगी रोज सुबह 4 बजे ठंडे जल से स्नान करते हैं। संत प्रमोद गिरि का कहना है कि यह हठ योग है। जिसके तहत इस खास तरह के स्नान की शुरुआत उन्होंने 51 घड़ों में भरे शीतल जल से स्नान करने के साथ की थी। अब रोज कुछ घड़े पानी बढ़ रहा है। 21वें दिन संत 108 घड़ों में भरे शीतल जल से स्नान करेंगे। संत के इस हठ योग को जो भी देखता है, हैरान रह जाता है।
लोक कल्याण के लिए कठिन तप
कड़ाके की सर्दी में इस तरह कठिन साधना को लेकर संत का कहना है कि यह सनातनी परंपरा है। लोक कल्याण के लिए सनातन संस्कृति में इस तरह साधना की जाती रही हैं। संत प्रमोद गिरि ने बताया कि उनके गुरु भी, ऐसी साधना करते थे। उनका कहना है कि गुरु के बाद हम इस परंपरा को निभा रहे हैं। हमारे बाद शिष्य इस परंपरा को निभाएंगे। उनके राजस्थान, हरियाणा के शिष्य भी जलधारा करते हैं। महाकुम्भ में स्थान सीमित रहता है, इसलिए इस बार वह अकेले ही हठ योग कर रहे हैं।
एक हाथ में माला...एक हाथ में भाला
संत का कहना है कि साधु-संत जो जप-तप करते हैं, उसमें उनकी भावना सभी लोगों के कल्याण की रहती है। वह लोक कल्याण के लिए ही जप-तप करते हैं, इसके लिए कठिन साधना करते हैं। हम पिछले नौ साल से साधना कर रहे हैं, यह आगे भी चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि संत के एक हाथ में भाला तो दूसरे हाथ में भाला भी रहता है। मुगलों के जमाने में नागाओं ने युद्ध कौशल से धर्म की रक्षा की थी।
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