Udaipur Royal Family: चाचा-भतीजे के बीच खिंची तलवारें! जानिए कौन है तकरार के मुख्य चेहरे लक्ष्यराज और विश्वराज सिंह मेवाड़?
Udaipur Royal Family Dispute: मेवाड़ की गद्दी पर राजतिलक के बाद महाराणा प्रताप के वंशजों में विवाद छिड़ गया है। (Udaipur Royal Family Dispute) पूर्व राजपरिवार की संपत्ति को लेकर चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ और भतीजे विश्वराज सिंह आमने सामने हो गए हैं। ऐसे में आपको बताते हैं कि उदयपुर के इस पूर्व राजपरिवार के बीच ऐसा क्या विवाद है, जिसने विश्वराज सिंह की चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ व युवराज लक्ष्यराज सिंह के साथ तल्खी बढ़ा दी है।
पूर्व राजपरिवार में कब से संपत्ति विवाद?
मेवाड़ की गद्दी पर 1955 में भगवंत सिंह महाराणा बने थे। उनके बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह मेवाड़ हैं। जब भगवंत सिंह ने अपनी कुछ संपत्तियों को लीज पर देने की पहल की, तो बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ ने आपत्ति जताई। उन्होंने पिता के खिलाफ केस भी दायर किया। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई। इसके बाद साल 1984 में भगवंत सिंह ने छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को पूर्व राजपरिवार की संपत्तियों का एक्जीक्यूटर बना दिया। जबकि महेंद्र सिंह मेवाड़ को संपत्ति से बेदखल कर दिया। यहीं से पूर्व राजपरिवार में संपत्ति विवाद शुरु हुआ।
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क्यों आमने-सामने विश्वराज-लक्ष्यराज?
विश्वराज सिंह दिवंगत महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे हैं। जबकि लक्ष्यराज सिंह अरविंद सिंह मेवाड़ के पुत्र हैं। मेवाड़ की गद्दी पर कल 25 नवंबर को दिवंगत महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह का राजतिलक हुआ। इसके बाद विश्वराज सिंह को परंपरा अनुसार उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी दर्शन करना था। मगर विश्वराज सिंह के सिटी पैलेस पहुंचने पर पैलेस के गेट बंद कर दिए गए। जिसके बाद विवाद बढ़ गया। दरअसल मेवाड़ राजपरिवार की संपत्तियों का संचालन ट्रस्ट करता है। जिसका स्वामित्व अरविंद सिंह मेवाड़ के पास है।
अरविंद सिंह मेवाड़ की ओर से कहा जा रहा है कि ट्रस्ट संचालन का अधिकार पिता ने उन्हें सौंपा था। ऐसे में मेवाड की राजगद्दी पर बैठने का हक भी उनका या उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह का है। यही वजह है कि विश्वराज सिंह के राजतिलक के बाद उन्हें धूणी दर्शन से रोकने के लिए सिटी पैलेस के गेट बंद कर दिए गए और अब विश्वराज सिंह और लक्ष्यराज सिंह आमने सामने हो गए।
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