World Cancer Day: कैंसर को 6 बार हरा चुका बिजनेसमैन, कैसे जीती जंग? कर्नाटक के सिलेबस में इनका लेसन !
World Cancer Day Rajasthan: कैंसर में मरीज को भयानक दर्द से गुजरना पड़ता है, मगर कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जो इस कैंसर के दर्द से हार नहीं मानते। (World Cancer Day Rajasthan) अजमेर के 26 साल के युवा उद्यमी इसकी मिसाल हैं। जिन्हें कैंसर ने छह बार जकड़ने की कोशिश की, मगर हर बार इस युवा बिजनेसमैन ने अपने बुलंद हौसलों से कैंसर को हरा दिया। अब यह कैंसर से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं।
14 की उम्र में पता लगा गले का कैंसर
अजमेर के युवा बिजनेसमैन छह बार कैंसर को मात देकर अब कैंसर फ्री हो चुके हैं। इस बिजनेसमैन को 14 साल की उम्र में साल 2013 में फुटबॉल खेलते वक्त चोट लग गई थी। काफी दिनों तक गले पर सूजन रही तो डॉक्टर को दिखाया। तब पता लगा कि इनको गले का कैंसर है। कैंसर का पता लगने के बाद इलाज शुरु हुआ, करीब 12 कीमोथैरेपी हुईं। इनका कहना है कि कैंसर का पता लगने पर लोग सहानुभूति जताने आते थे। कैंसर को लेकर तरह-तरह की बात सुनकर घबराहट भी होती थी।
कैंसर के बावजूद एग्जाम में किया टॉप
कैंसर को मात दे चुके इस युवा उद्यमी का कहना है कि कैंसर का पता लगने के बाद पिता ने हमेशा हौसला बढ़ाया। पिता ने कहा कि तू हिम्मत मत हारना, मैं तुझे भगवान से भी जीतकर ले आउंगा। इससे मेरी भी हिम्मत बढ़ी। इस बीच दसवीं की परीक्षा आ गईं, मगर मैने परीक्षा का डर मन से निकालकर पूरी लगन से पढ़ाई की और कैंसर होते हुए भी दसवीं की परीक्षा टॉप की। मगर यह जंग यहीं खत्म नहीं हुई, 2015 में फिर कैंसर ने दस्तक दे दी।
12 साल में 6 बार हुआ कैंसर, अब स्वस्थ
कैंसर सर्वाइवर के मुताबिक 2015 में जब कैंसर ने दस्तक दी तब मैं 12वीं क्लास में था। डॉक्टर ने रेडियोथैरेपी की सलाह दी तो कोलकाता में इलाज करवाया। मगर फिर दो साल बाद 2017 में तीसरी बार कैंसर हो गया। इस बार पेट में कैंसर मिला। इसके बाद जयपुर के SMS अस्पताल में इलाज करवाया। साल 2019 में फिर पैंक्रियाज कैंसर हो गया। और इसी साल दिसंबर में हाथ में कैंसर की गांठ बन गई।
कर्नाटक में पढ़ा रहे इनके जज्बे की कहानी
2020 में फिर पेट के निचले हिस्से में कैंसर की गांठ का पता लगा। मगर हार बार मैंने कैंसर के दर्द को खुद पर हावी नहीं होने दिया और खुद की जीत पर भरोसा रखा। यही वजह है कि अब यह युवा कैंसर से बिल्कुल फ्री हो चुके हैं और इनके मजबूत जज्बे की कहानी कर्नाटक के सिलेबस में बच्चों को पढ़ाई जा रही है।
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