मेवाड़ राजघराने की देशभर में चर्चा, कैसे बिखरा महाराणा प्रताप का कुनबा? बेटे की एक FIR से सुलगी चिंगारी!
Mewar Dynasty Udaipur: राजस्थान का मेवाड राजवंश महाराणा प्रताप के अद्भुत शौर्य के लिए पहचान रखता है, (Mewar Dynasty Udaipur) मगर पिछले दो दिन से उदयपुर के इस पूर्व राजपरिवार में संपत्ति को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। मेवाड़ की गद्दी को लेकर विश्वराज सिंह और उनके चचेरे भाई लक्ष्यराज सिंह आमने- सामने हो गए हैं। राजपरिवार में संपत्ति को लेकर क्यों विवाद हुआ? महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच कैसे दरार पड़ी? यह भी आपको बताते हैं
महाराणा प्रताप का वंशज है मेवाड़ राजवंश
मेवाड़ राजवंश की गद्दी पर विश्वराज सिंह के राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह और लक्ष्यराज सिंह के परिवार एक- दूसरे के खिलाफ हो गए हैं। मेवाड़ का राजवंश महाराणा प्रताप का वंशज है। इतिहास की बात करें तो महाराणा प्रताप ने 1572 से 1597 तक शासन किया। महाराणा प्रताप के बाद इस वंश में 19 राजा बने। इसके बाद 1930 से 1955 तक महाराणा भूपाल सिंह मेवाड़ वंश की राजगद्दी पर बैठे।
महाराणा भूपाल सिंह और उनकी पत्नी वीरद कुंवर ने भगवंत सिंह को गोद लिया। भगवंत सिंह 1955 से 1971 तक राजगद्दी पर रहे। भगवंत सिंह की तीन संतान हुईं, इनमें बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़, छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ और बेटी योगेश्वरी शामिल हैं। महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह हैं, जबकि अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह हैं। इन दोनों में ही राजतिलक को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है।
महाराणा प्रताप के वंशजों में कैसे आई दरार ?
महाराणा प्रताप के वंशज भगवंत सिंह ने 1955 में मेवाड़ की गद्दी संभाली। उनके दो बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह मेवाड़ हुए। इस बीच भगवंत सिंह ने अपनी कुछ प्रॉपर्टीज को लीज पर देना चाहा तो बड़े बेटे महेंद्र सिंह ने आपत्ति की। इसके बाद पिता भगवंत सिंह के खिलाफ केस दायर कर दिया। इसके बाद 1984 में भगवंत सिंह ने पूर्व राजपरिवार की सभी संपत्तियों का संचालन ट्रस्ट बनाकर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंप दिया और बड़े बेटे महेंद्र सिंह को संपत्ति से बेदखल कर दिया। तब से ही महेंद्र सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार के बीच तलवार खिंच गईं।
अब क्यों गहराया 35 साल पुराना विवाद ?
उदयपुर पूर्व राजपरिवार के बीच संपत्ति का 35 साल से भी पुराना विवाद एक बार फिर गहरा गया है। इसकी वजह मेवाड़ की राजगद्दी पर विश्वराज सिंह का राजतिलक है, जो दिवंगत महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे हैं। विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ का कहना है कि पिता ने उदयपुर पूर्व राजपरिवार की संपत्तियों को ट्रस्ट बनाकर उनके हवाले किया था। ऐसे में मैं या बेटा लक्ष्यराज सिंह ही राजतिलक के अधिकारी हैं।
इसी विवाद की वजह से विश्वराज सिंह राजतिलक के बाद भी सिटी पैलेस में धूणी दर्शन की परंपरा पूरी नहीं कर पाए। क्योंकि सिटी पैलेस अरविंद सिंह मेवाड़ के ट्रस्ट के अधीन है और उन्होंने विश्वराज के आने पर सिटी पैलेस के गेट बंद करवा दिए। जिसके बाद दोनों परिवारों की लड़ाई सड़क पर आ गई।
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