Jodhpur: राजस्थान हाईकोर्ट में आज लोक अदालत...आपसी समझाइश से निस्तारण के लिए 2000 मुकदमे सूचीबद्ध
Rajasthan High Court Lok Adalat: जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत (Rajasthan High Court Lok Adalat) में आपसी समझाइश से निस्तारण के लिए 2000 से ज्यादा मुकदमे सूचीबद्ध किए गए। मुकदमों की सुनवाई से पहले राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने दीप प्रज्ज्वलित कर लोक अदालतका शुभारंभ किया। राजस्थान हाईकोर्ट में साल 2024 की इस तीसरी लोक अदालत में मुकदमों के निस्तारण के लिए तीन बैंच का गठन किया गया है।
लोक अदालत में 2000 मुकदमों की सुनवाई
राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ में लोक अदालत के लिए 2000 से ज्यादा मुकदमों को सूचीबद्ध किया गया। वहीं मुकदमों के निस्तारण के लिए तीन बैंच का गठन किया गया। बैंच संख्या 1 में न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास अध्यक्ष और अधिवक्ता डॉ प्रमिला आचार्य सदस्य बनाई गईं। बैंच संख्या 2 में न्यायाधीश कुलदीप माथुर अध्यक्ष और अधिवक्ता डॉ. प्रतिष्ठा दवे सदस्य बनाई गईं। वहीं बैंच संख्या 3 में न्यायाधीश योगेन्द्र कुमार पुरोहित अध्यक्ष और अधिवक्ता सुमन अग्रवाल सदस्य बनाई गईं।
लोक अदालत में राजीनामा से मुकदमों का निस्तारण
राष्ट्रीय लोक अदालत के शुभारंभ के अवसर पर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉक्टर पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिए सालों से लंबित चल रहे मुकदमों का राजीनामा (आपसी सहमति) के माध्यम से निस्तारण किया जाता है। सरकार और न्यायपालिका के जरिए यही प्रयास किया जा रहा है। यह साल 2024 की तीसरी लोक अदालत है। जिसमें आपसी सहमति से मुकदमों का निस्तारण करने का प्रयास किया गया। लोक अदालत से निश्चित तौर पर पक्षकारों को फायदा मिलेगा। क्योंकि, आपसी राजीनामा से मामलों का निस्तारण होने से सुनवाई में लगने वाले समय की बचत होगी।
लोग बोले- लोक अदालत से समय की हो रही बचत
हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉक्टर पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने कहा कि लोक अदालत में राजीनामा योग्य प्रकरणों के साथ-साथ CRPC के राजीनामे योग्य मुकदमों की भी सुनवाई की। इन मुकदमों का भी राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारण किया जा रहा है। जिससे मौजूदा समय में अदालतों में मुकदमों की जो पेंडेंसी है, उसको कम किया जा सके। इसके साथ ही लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारों को त्वरित न्याय मिल सके। इसके लिए सरकार और न्यायपालिका की ओर से पूरा प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय लोक अदालत में राजीनामा योग्य प्रकरण का निस्तारण करवाने आए लोगों ने भी कहा कि यह एक ऐसा माध्यम है। जिससेआपसी विवादों को राजीनामे से सुलझाया जाता है। इससे सुनवाई में लगने वाले लंबे समय की बचत होती है।
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